9 Divine Reasons Why (वराह जयंती) Varah Jayanti is a Positive Festival of Sanatan Dharma

kammal rohit
6 Min Read
वराह जयंती

आज का पंचांग (25 अगस्त 2025 – सोमवार)

  • मास – भाद्रपद

  • पक्ष – शुक्ल पक्ष

  • शक संवत – 1947

  • विक्रम संवत – 2082

  • दिन – सोमवार

  • तिथि – द्वितीया (12:34 PM तक), फिर तृतीया

  • नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी (03:50 AM तक), फिर हस्त

  • दिशाशूल – पूर्व

  • राहु काल – 07:32 AM से 09:09 AM तक

  • यमघण्ट – 11:57 AM से 12:48 PM तक

  • अभिजित मुहूर्त – 11:57 AM से 12:48 PM तक

  • आज का व्रतवराह जयंती


परिचय – वराह जयंती का महत्व

सनातन धर्म में भगवान विष्णु के दस अवतारों (दशावतार) का विशेष स्थान है। उन्हीं में से एक है वराह अवतार, जिसे विष्णु का तीसरा अवतार माना जाता है।

वराह जयंती उस दिव्य अवसर का उत्सव है जब भगवान विष्णु ने वराह रूप (सूकर) धारण करके धरती (भूदेवी) को राक्षस हिरण्याक्ष से बचाया और समुद्र से बाहर निकालकर पुनः आकाशीय पथ पर स्थापित किया।

यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जब भी धर्म संकट में आता है, ईश्वर किसी न किसी रूप में अवतरित होकर संतुलन स्थापित करते हैं।


वराह अवतार की कथा (History of Varah Jayanti)

  • हिरण्याक्ष दैत्य, जिसने कठोर तपस्या कर शक्तिशाली वरदान प्राप्त किया था, देवताओं को परास्त कर पृथ्वी को अपने बल से समुद्र में डुबो दिया।

  • धरती की पुकार सुनकर, भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण किया

  • उन्होंने समुद्र में प्रवेश कर दैत्य हिरण्याक्ष से भयंकर युद्ध किया।

  • हजारों वर्षों तक चले इस युद्ध के बाद भगवान विष्णु ने उसका वध कर दिया।

  • इसके बाद उन्होंने धरती को अपनी शक्तिशाली दाँतों (दंष्ट्रा) पर उठाकर पुनः ब्रह्मांड में उसकी स्थिति पर स्थापित किया।

यह कथा धर्म की विजय, पृथ्वी की रक्षा और संतुलन की पुनः स्थापना का प्रतीक है।


वराह जयंती से जुड़े रोचक तथ्य (Fun & Interesting Facts)

  1. वराह विष्णु के तीसरे अवतार माने जाते हैं।

  2. शास्त्रों में वराह को सफेद और लाल दो रूपों में वर्णित किया गया है।

  3. यह अवतार पृथ्वी माता (भूदेवी) की रक्षा से सीधा जुड़ा है।

  4. वराह और हिरण्याक्ष का युद्ध हजारों दिव्य वर्षों तक चला।

  5. कई प्राचीन मंदिरों में वराह की मूर्तियाँ धरती को दाँतों पर उठाए दर्शाई गई हैं।

  6. खजुराहो (मध्यप्रदेश) का वराह मंदिर विश्व प्रसिद्ध है।

  7. इस दिन पृथ्वी पूजा और वृक्षारोपण भी शुभ माना जाता है।

  8. यह अवतार हमें प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है।

  9. दक्षिण भारत के तिरुमाला बालाजी मंदिर में भी वराह रूप की पूजा होती है।


टाइमलाइन (Timeline of Varah Jayanti)

  • सत्ययुग/त्रेतायुग – वराह अवतार की कथा घटित हुई।

  • पुराण काल – विष्णु पुराण और भागवत पुराण में विस्तार से वर्णन।

  • मध्यकाल – वराह मंदिरों का निर्माण।

  • आधुनिक काल – भारत और विश्वभर में वैष्णव समुदाय द्वारा पूजा व उपासना।


वराह जयंती का महत्व (Significance)

  1. आध्यात्मिक महत्व – भक्तों को विश्वास दिलाता है कि ईश्वर सदैव धर्म की रक्षा करते हैं।

  2. प्राकृतिक महत्व – धरती माता के प्रति श्रद्धा और संरक्षण का भाव।

  3. नैतिक महत्व – अन्याय और अहंकार के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा।

  4. सामाजिक महत्व – सामूहिक पूजा और अनुष्ठान से समाज में एकता।


वराह जयंती की पूजा विधि (Observance & Rituals)

  • प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

  • घर या मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा/चित्र पर पूजा करें।

  • विष्णु सहस्रनाम और वराह स्तुति का पाठ करें।

  • व्रत रखकर केवल फलाहार करें।

  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान दें।

  • पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण या पृथ्वी को अर्पण करें।


वराह जयंती की शुभकामनाएँ (Wishing)

  • “वराह जयंती पर भगवान विष्णु आपके जीवन से संकट दूर करें और धर्म की विजय हो।”

  • “धरती की तरह आपके जीवन को भी ईश्वर सुरक्षित रखें। शुभ वराह जयंती!”

  • “वराह जयंती पर धर्म, सत्य और प्रकृति के प्रति हमारी श्रद्धा और बढ़े।”


FAQs (Frequently Asked Questions)

Q1: वराह जयंती कब मनाई जाती है?
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वितीया को।

Q2: वराह अवतार का महत्व क्या है?
यह अवतार पृथ्वी की रक्षा और धर्म की विजय का प्रतीक है।

Q3: इस दिन कौन-से मंत्र का जाप शुभ है?
“ॐ नमो भगवते वराहाय नमः”।

Q4: क्या यह पर्व पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा है?
हाँ, क्योंकि यह पृथ्वी (भूदेवी) की रक्षा का संदेश देता है।

Q5: प्रसिद्ध वराह मंदिर कहाँ हैं?
खजुराहो (MP), पुष्कर (राजस्थान), तिरुमाला (आंध्र प्रदेश)।


दैनिक जीवन पर प्रभाव (Daily Life Impacts)

  • धरती और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव।

  • संकटों में धैर्य और साहस की प्रेरणा।

  • धर्म और सत्य की ओर झुकाव।

  • परिवार और समाज में एकजुटता।

  • जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शांति


निष्कर्ष (Conclusion)

वराह जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का संदेश है।
यह हमें बताता है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, धर्म की रक्षा अवश्य होती है और अन्याय का अंत निश्चित है।

आज जब पृथ्वी पर्यावरणीय संकटों से जूझ रही है, तब वराह अवतार की कथा हमें धरती की रक्षा और प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लेने की प्रेरणा देती है।

Go back

Your message has been sent

Warning
Warning
Warning
Warning.
Share This Article
Leave a Comment