🌿 हरियाली अमावस्या 2025: एक पावन दिन, जब प्रकृति, आस्था और आत्मा मिलते हैं एक बिंदु पर
हरियाली अमावस्या: 24 जुलाई 2025, गुरुवार का दिन केवल पंचांग के अनुसार विशेष नहीं है, बल्कि यह दिन धार्मिक, पर्यावरणीय, और आत्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और सार्थक है। इस दिन निम्नलिखित पर्व और व्रत एक साथ पड़ रहे हैं:
- 📜 आज का पंचांग – 24 जुलाई 2025
- 🧘♂️ हरियाली अमावस्या का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
- 📅 टाइमलाइन और भविष्य की तिथियाँ
- 🌳 प्रमुख पर्व और व्रत इस दिन
- 🌟 9 शुभ संकेत जो बनाते हैं हरियाली अमावस्या 2025 को विशेष
- 🪔 परंपराएं और पूजा विधि
- 🙏 शुभकामनाएं और संदेश – हरियाली अमावस्या पर
- ❓ FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- Q1: क्या हरियाली अमावस्या हर साल एक ही तिथि पर होती है?
- Q2: क्या इस दिन व्रत रखना आवश्यक है?
- Q3: क्या इस दिन कोई विशेष पौधा लगाना चाहिए?
- Q4: क्या यह दिन पितृ पूजा के लिए शुभ है?
- Q5: क्या इस दिन विवाह या कोई शुभ कार्य कर सकते हैं?
- 🌍 आज के दिन का सामाजिक और व्यक्तिगत महत्व
- 🔚 निष्कर्ष: क्यों हरियाली अमावस्या 2025 हमारे जीवन में अनमोल है?
श्रावण अमावस्या
हरियाली अमावस्या
दर्श अमावस्या
आदि अमावसाई
अन्वाधान व्रत
यह दिन श्रावण मास की अमावस्या को पड़ता है जो विशेष रूप से भगवान शिव, पितृ, प्रकृति, और मानव के आंतरिक शुद्धिकरण से जुड़ा हुआ है।
📜 आज का पंचांग – 24 जुलाई 2025
| तत्व | विवरण |
|---|---|
| दिनांक | 24 जुलाई 2025 |
| दिन | गुरुवार |
| तिथि | अमावस्या (12:40 AM, 25 जुलाई तक) |
| मास | श्रावण |
| पक्ष | कृष्ण पक्ष |
| नक्षत्र | पुनर्वसु (04:43 PM तक) फिर पुष्य |
| अभिजित मुहूर्त | 12:00 PM – 12:54 PM |
| राहुकाल | 02:09 PM – 03:52 PM |
| यमघण्ट | 06:32 AM – 07:26 AM |
| दिशाशूल | दक्षिण |
| व्रत | श्रावण अमावस्या, हरियाली अमावस्या, आदि अमावसाई, दर्श अमावस्या, अन्वाधान |
🧘♂️ हरियाली अमावस्या का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
हरियाली अमावस्या का इतिहास भारत के कृषि प्रधान समाज, वैदिक परंपराओं, और प्रकृति पूजा से जुड़ा हुआ है। इस दिन को लेकर निम्नलिखित ऐतिहासिक बिंदु महत्वपूर्ण हैं:
शिव आराधना का मुख्य दिन: श्रावण मास और अमावस्या का योग, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
वर्षा ऋतु और हरियाली का उत्सव: किसान समुदाय इस दिन हरियाली, धान रोपाई, और भूमि की उर्वरता का आभार प्रकट करता है।
राजा विक्रमादित्य की परंपरा: कहा जाता है कि विक्रमादित्य ने हरियाली अमावस्या पर लोक मेले और वृक्षारोपण की परंपरा शुरू की थी।
📅 टाइमलाइन और भविष्य की तिथियाँ
| वर्ष | तिथि | दिन |
|---|---|---|
| 2023 | 17 जुलाई | सोमवार |
| 2024 | 4 अगस्त | रविवार |
| 2025 | 24 जुलाई | गुरुवार |
| 2026 | 13 जुलाई | सोमवार |
🌳 प्रमुख पर्व और व्रत इस दिन
🔹 श्रावण अमावस्या
पितृ तर्पण, गंगा स्नान, और दान-पुण्य का दिन।
आत्मिक शुद्धि के लिए अमावस्या पर उपवास और ध्यान का विशेष महत्व।
🔹 हरियाली अमावस्या
प्रकृति की पूजा, वृक्षारोपण, और धरती मां का आभार।
महिलाएं हरियाली के प्रतीक स्वरूप हरा वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं।
🔹 दर्श अमावस्या
चंद्रमा के दर्शन की अनुपस्थिति में आत्मनिरीक्षण और शांत साधना।
🔹 आदि अमावसाई (दक्षिण भारत)
तमिल और कर्नाटक में विशेष पूजा, पूर्वजों के लिए तर्पण।
🔹 अन्वाधान व्रत
श्राद्ध से पहले का उपवास, जिसका उद्देश्य है पितृ ऋण से मुक्ति।
🌟 9 शुभ संकेत जो बनाते हैं हरियाली अमावस्या 2025 को विशेष
🌿 प्रकृति के साथ एकात्मता का पर्व – वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा।
🕉️ शिवभक्ति की चरम अवस्था – श्रावण और अमावस्या का मेल शिव साधना को सिद्ध करता है।
🌊 गंगा स्नान और तर्पण – पितृ शांति और आत्मिक शुद्धि का समय।
💚 महिलाओं का सौंदर्य और व्रत – हरे वस्त्र, सुहागिनें व्रत रखती हैं पति की दीर्घायु के लिए।
🤝 सामाजिक मेलजोल और मेले – राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार में लोक मेले लगते हैं।
📿 ध्यान और आत्मनिरीक्षण का उपयुक्त समय – चंद्रमा न होने के कारण ध्यान सहज होता है।
🌾 खेती और वर्षा का उत्सव – किसान वर्ग इसे नई फसल के स्वागत के रूप में मनाता है।
🧘♀️ योग और ऊर्जा संरक्षण – अमावस्या पर ध्यान, मंत्र जाप से मन स्थिर होता है।
🪔 दान और धर्म की प्रेरणा – अन्नदान, वस्त्रदान, गौदान आदि शुभ कर्म किए जाते हैं।
🪔 परंपराएं और पूजा विधि
सुबह स्नान करके, शुद्ध वस्त्र धारण करें।
भगवान शिव को बेलपत्र, दूध, दही, शहद आदि अर्पित करें।
पीपल वृक्ष, तुलसी, और बरगद को जल दें।
तर्पण करें – पितरों के लिए आभार और मोक्ष की प्रार्थना।
व्रत रखें – फलाहार लेकर दिनभर शिव जाप और ध्यान करें।
शाम को दीपक जलाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
🙏 शुभकामनाएं और संदेश – हरियाली अमावस्या पर
🌿 “हरियाली अमावस्या आपके जीवन में सुख, समृद्धि और आत्मशुद्धि का वरदान लाए।”
🌳 “आज एक पेड़ लगाइए, कल एक नई सांस बचाइए। हरियाली अमावस्या की शुभकामनाएं।”
🕉️ “शिव कृपा से हो जीवन में हरियाली, शांति और उजास – शुभ हरियाली अमावस्या!”
❓ FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1: क्या हरियाली अमावस्या हर साल एक ही तिथि पर होती है?
नहीं, यह तिथि चंद्र पंचांग के अनुसार हर साल बदलती है।
Q2: क्या इस दिन व्रत रखना आवश्यक है?
व्रत रखना ऐच्छिक है लेकिन पुण्यदायी माना जाता है – विशेषतः महिलाओं के लिए।
Q3: क्या इस दिन कोई विशेष पौधा लगाना चाहिए?
हाँ, पीपल, नीम, तुलसी, आम, बरगद जैसे धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से लाभकारी पौधों को प्राथमिकता दी जाती है।
Q4: क्या यह दिन पितृ पूजा के लिए शुभ है?
बिलकुल। श्रावण अमावस्या और दर्श अमावस्या, दोनों ही पितृ तर्पण और दान के लिए उपयुक्त हैं।
Q5: क्या इस दिन विवाह या कोई शुभ कार्य कर सकते हैं?
अमावस्या को शुभ कार्यों से वर्जित माना जाता है, लेकिन पूजा और ध्यान के लिए सर्वोत्तम दिन होता है।
🌍 आज के दिन का सामाजिक और व्यक्तिगत महत्व
🌱 पर्यावरण संरक्षण – वृक्षारोपण और हरा जीवनशैली का संदेश।
🧘♂️ मन की शुद्धि – ध्यान और आत्म चिंतन से।
🧑🤝🧑 समाज में एकता और सहयोग की भावना – सामूहिक मेलों और त्योहारों से।
👩❤️👨 गृहस्थ जीवन में संतुलन – व्रत और पूजा से पारिवारिक संबंधों में सामंजस्य।
🛐 धर्म, दान और साधना का समय – एक सकारात्मक, ऊर्जावान दिन।
🔚 निष्कर्ष: क्यों हरियाली अमावस्या 2025 हमारे जीवन में अनमोल है?
हरियाली अमावस्या 2025 केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धर्म, प्रकृति और आत्मा का एक त्रिवेणी संगम है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हरियाली केवल धरती पर नहीं, हमारे मन और कर्मों में भी होनी चाहिए।
🌳 एक पेड़ आज लगाइए, अपने आने वाले कल को बचाइए।
🕉️ एक मंत्र आज जपिए, अपनी आत्मा को निर्मल कीजिए।
🙏 हरियाली अमावस्या की हार्दिक शुभकामनाएं!


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