🌟 7 Powerful Reasons Why Bhagwan Shree Krishna Ki Chhathi is a Divine Celebration of Joy

sakshi talwaar
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Bhagwan Shree Krishna Ki Chhathi

✨ Introduction

भगवान श्रीकृष्ण, जो स्वयं विष्णु के अवतार माने जाते हैं, का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी को हुआ था जिसे हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। जन्म के छह दिन बाद जो अनुष्ठान और उत्सव मनाया जाता है, उसे छठी कहते हैं। यह परंपरा भारत के कई हिस्सों में आज भी बड़े हर्षोल्लास से निभाई जाती है।

भगवान कृष्ण की छठी केवल एक पारिवारिक या सामाजिक परंपरा ही नहीं है, बल्कि यह जीवन, संस्कृति और भक्ति से जुड़ी हुई एक गहरी आध्यात्मिक धारा है।


📜 History of Bhagwan Shree Krishna Ki Chhathi

  1. महाभारत और पुराणों का आधार – श्रीकृष्ण के जन्म का वर्णन भागवत पुराण और महाभारत में मिलता है।

  2. मथुरा और गोकुल की परंपरा – जन्म के छठे दिन गोपियों ने गोकुल में विशेष पूजा की थी।

  3. लोककथाओं में छठी – यह माना जाता है कि छठी माता या विधाता इस दिन बच्चे की किस्मत लिखते हैं।

  4. आध्यात्मिक दृष्टिकोण – यह संस्कार नवजात के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद लाने के लिए होता है।


Bhagwan Shree Krishna Ki Chhathi
Bhagwan Shree Krishna Ki Chhathi

📌 Important Facts about Krishna Ki Chhathi

  • छठी माता को “विधाता” भी कहा जाता है।

  • इस दिन शिशु को पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं।

  • गोधूलि वेला में विशेष पूजा होती है।

  • प्रसाद में हलवा, खीर, दही और गुड़ का महत्व है।

  • महिलाएँ लोकगीत गाती हैं और मंगलकामनाएँ करती हैं।


🗓️ Timeline of Observance

  • भाद्रपद अष्टमी – श्रीकृष्ण जन्म।

  • अगले 6 दिन बाद – छठी का पर्व।

  • सुबह – घर की सफाई और पूजा।

  • दोपहर – छठी माता की कथा और भोग।

  • शाम – लोकगीत, नृत्य और सामूहिक उत्सव।


🌺 Significance of Krishna Ki Chhathi

  1. संस्कृति की रक्षा – यह परंपरा हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है।

  2. परिवार का मिलन – सामूहिक रूप से मनाने से रिश्तों में प्रेम बढ़ता है।

  3. आध्यात्मिक लाभ – यह भगवान श्रीकृष्ण की लीला का स्मरण कराता है।

  4. नवजात के जीवन का आशीर्वाद – माना जाता है कि छठी माता बच्चे के जीवन को मंगलमय बनाती हैं।

  5. समाज में एकता – हर वर्ग के लोग इसमें शामिल होकर सामाजिक सौहार्द बढ़ाते हैं।


🙏 Wishing on Krishna Ki Chhathi

लोग इस अवसर पर एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं:

  • 🌸 “भगवान श्रीकृष्ण की छठी आपके जीवन में आनंद और समृद्धि लाए।”

  • 🌸 “छठी माता का आशीर्वाद आपके परिवार पर सदा बना रहे।”

  • 🌸 “श्रीकृष्ण की कृपा से आपका जीवन प्रेम और सुख से परिपूर्ण हो।”


🌍 Importance in Our Life and Society

  • आध्यात्मिकता में गहराई – यह भक्ति और समर्पण का मार्ग दिखाती है।

  • सांस्कृतिक धरोहर – बच्चों को परंपरा से जोड़ने का अवसर।

  • सामाजिक सहयोग – सामूहिक भोज और उत्सव से सामाजिक रिश्ते मज़बूत होते हैं।

  • नैतिक शिक्षा – यह परंपरा हमें सिखाती है कि जीवन को भगवान की कृपा से ही अर्थ मिलता है।


Bhagwan Shree Krishna Ki Chhathi
Bhagwan Shree Krishna Ki Chhathi

📖 Observance and Rituals

  • घर की सफाई और सजावट।

  • नवजात को नए वस्त्र पहनाना।

  • विधाता माता की पूजा।

  • लोकगीत और भजन।

  • प्रसाद का वितरण।


💡 Important Points to Remember

  • छठी केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक विश्वास है।

  • यह परंपरा हर समाज और क्षेत्र में अलग-अलग ढंग से मनाई जाती है।

  • इसका मूल भाव “सुरक्षा, समृद्धि और आशीर्वाद” है।


❓ FAQs about Bhagwan Krishna Ki Chhathi

Q1. श्रीकृष्ण की छठी कब मनाई जाती है?
👉 जन्माष्टमी के छह दिन बाद।

Q2. इस दिन क्या विशेष होता है?
👉 नवजात की पूजा और विधाता माता की आराधना।

Q3. छठी माता कौन हैं?
👉 विधाता देवी, जो बच्चे की किस्मत लिखती हैं।

Q4. क्या यह परंपरा आज भी निभाई जाती है?
👉 हाँ, विशेषकर उत्तर भारत और ग्रामीण क्षेत्रों में।


🌟 Conclusion

भगवान श्रीकृष्ण की छठी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जीवन, आस्था और संस्कृति का संगम है। यह हमें परिवार और समाज को जोड़ने, नवजात के जीवन को आशीर्वाद देने और भगवान की कृपा का स्मरण करने का अवसर देता है।

आज भी जब छठी के गीत गूंजते हैं और घरों में पूजा होती है, तब लगता है कि यह परंपरा केवल पुरानी नहीं, बल्कि हमारे वर्तमान और भविष्य को भी पवित्र बना रही है।


✅ इस लेख में हमने देखा कि क्यों भगवान श्रीकृष्ण की छठी हमारे जीवन और समाज में इतनी महत्वपूर्ण है।

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