“11 Divine Truths That Make Devshayani Ekadashi 2025 a Spiritually Transformative Day”

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Devshayani Ekadashi

🌺 देवशयनी एकादशी 2025 – आध्यात्मिक जागरण का पवित्र आरंभ

Minorstudy Foundation की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं – आपके जीवन में सुख, संतुलन और सत्य का समावेश हो।


🌞 आज का पंचांग – 6 जुलाई 2025 (रविवार):

घटकविवरण
तिथिएकादशी – रात 09:14 बजे तक, फिर द्वादशी
वाररविवार
मासआषाढ़ मास, शुक्ल पक्ष
नक्षत्रविशाखा – रात 10:42 बजे तक, फिर अनुराधा
शक संवत1947
विक्रम संवत2082
राहु कालशाम 05:38 से 07:22 तक
यमघण्टदोपहर 01:49 से 02:44 तक
अभिजित मुहूर्त11:57 AM से 12:53 PM तक
दिशाशूलपश्चिम
आज का व्रतदेवशयनी एकादशी, गौरी व्रत प्रारंभ

📖 What is Devshayani Ekadashi? (देवशयनी एकादशी क्या है?)

देवशयनी एकादशी, जिसे हरिशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी, या पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर योगनिद्रा में चले जाते हैं – यही काल चातुर्मास की शुरुआत को सूचित करता है, जिसमें चार महीने तक ब्रह्मचर्य, संयम और साधना की विशेष परंपरा निभाई जाती है।


🕉️ Mythology and Historical Significance (पौराणिक कथा और ऐतिहासिक महत्व):

📜 राजा मान्धाता की कथा:

एक बार राजा मान्धाता की प्रजा दुर्भिक्ष और महामारी से ग्रस्त हो गई। नारद जी ने उन्हें देवशयनी एकादशी का व्रत रखने का सुझाव दिया। राजा और प्रजा ने व्रत किया और संकट से मुक्ति पाई।

🐚 विष्णु जी की योगनिद्रा:

इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योगनिद्रा में चले जाते हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति में भगवान विष्णु “पालक” के रूप में प्रतिष्ठित हैं – उनके विश्राम काल में संसार की गति ‘संयम और साधना’ पर आधारित रहती है।


📆 Devshayani Ekadashi 2025 Timeline:

दिनांकघटना
6 जुलाई 2025देवशयनी एकादशी, चातुर्मास आरंभ
11 नवंबर 2025देवउठनी एकादशी (विष्णु जागरण – चातुर्मास समाप्ति)

📌 11 Divine Truths (महत्त्वपूर्ण बिंदु):

  1. भगवान विष्णु की योगनिद्रा का शुभारंभ इसी दिन होता है।

  2. चातुर्मास की शुरुआत, संयम और साधना का काल।

  3. विवाह, गृह प्रवेश आदि कार्य इस दिन से वर्जित हो जाते हैं।

  4. व्रत करने से रोग, शोक और पापों से मुक्ति मिलती है।

  5. श्री विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ व तुलसी अर्चन विशेष फलदायी माने जाते हैं।

  6. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, शंख, तुलसी और पीले फूल अति प्रिय हैं।

  7. उपवास का पालन कर आत्मशुद्धि और ब्रह्मचर्य की भावना जाग्रत होती है।

  8. इस व्रत से शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा का आह्वान होता है।

  9. यह दिन ब्रह्मा मुहूर्त में जागरण, ध्यान और पूजन का शुभ मुहूर्त माना गया है।

  10. देवशयनी से देवउठनी तक सत्संग, भजन और प्रवचन की विशेष परंपरा होती है।

  11. इस दिन किए गए पुण्यकर्म, दान और सेवा का फल कई गुना बढ़ जाता है।


FAQs – Frequently Asked Questions:

Q1: क्या देवशयनी एकादशी व्रत बिना जल के किया जाता है?

👉 नहीं, यह व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और संकल्प पर निर्भर करता है – निर्जल, फलाहार या एकाहार व्रत विधियों से किया जा सकता है।

Q2: क्या चातुर्मास केवल संतों के लिए होता है?

👉 नहीं, गृहस्थ भी संयम और नियमों का पालन करके चातुर्मास की साधना कर सकते हैं।

Q3: तुलसी का क्या महत्व है इस दिन?

👉 तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं। तुलसी पत्र से पूजन करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।

Q4: देवशयनी एकादशी में कौन से मंत्र पढ़े जाते हैं?

👉 “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और विष्णु सहस्रनाम का पाठ अति फलदायक माना जाता है।


🙏 Wishing & Message:

🌿 “देवशयनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान विष्णु की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति और संतुलन बना रहे।”
🌟 “चातुर्मास की इस शुभ शुरुआत में संयम, तपस्या और भक्ति से अपने जीवन को दिव्य बनाएँ।”


🌟 Spiritual Significance (आध्यात्मिक महत्व):

  • चातुर्मास संयम और आत्मशुद्धि का प्रतीक है।

  • यह काल ध्यान, जप, व्रत और ब्रह्मचर्य को जीवन में उतारने का अवसर प्रदान करता है।

  • मन की स्थिरता, कर्म की पवित्रता और वाणी की शुद्धता के लिए यह दिन आदर्श है।


🧘 Daily Life Impacts (जीवन पर प्रभाव):

  1. उपवास से शरीर का शुद्धिकरण और मानसिक संतुलन होता है।

  2. ब्रह्म मुहूर्त में उठने से मन-संयम की शक्ति बढ़ती है।

  3. संयमित आहार और आचरण से स्वास्थ्य में सुधार होता है।

  4. भक्ति व साधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

  5. यह चार महीने जीवन में अनुशासन, त्याग और सेवा की भावना को सशक्त करता है।


🏁 Conclusion (निष्कर्ष):

देवशयनी एकादशी आत्मसाक्षात्कार और दिव्यता की ओर पहला कदम है। यह केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन को शुद्ध, संयमित और उद्देश्यपूर्ण बनाने का एक अद्भुत अवसर है। जब हम इस दिन व्रत रखते हैं और भक्ति में लीन होते हैं, तब हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा, संतुलन और आनंद का प्रवेश होता है।

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