🕉️ पंचांग का अर्थ – जीवन का दैनिक मार्गदर्शक
पंचांग, जिसे वैदिक काल से “कालगणना की आत्मा” कहा जाता है, हिंदू धर्म में दैनिक जीवन, शुभ कार्यों, पूजा-पाठ, यात्राओं और निर्णयों के लिए दिशा दिखाने वाला सबसे प्राचीन एवं विश्वसनीय साधन है।
आज 11 जुलाई 2025 का पंचांग केवल एक तिथि नहीं है, बल्कि श्रावण मास का प्रथम दिन होने के कारण यह दिन आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत शक्तिशाली और शुभ माना गया है।
🗓️ आज का पंचांग – 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
पंचांग विवरण | तथ्य |
---|---|
दिनांक | 11 जुलाई 2025 |
दिन | शुक्रवार |
मास | श्रावण मास (कृष्ण पक्ष प्रारंभ) |
तिथि | प्रतिपदा (02:08 AM, 12 जुलाई तक) फिर द्वितीया |
नक्षत्र | पूर्वाषाढ़ा (05:56 AM तक), फिर उत्तराषाढ़ा |
राहुकाल | 10:42 AM – 12:26 PM |
यमघण्ट | 05:31 PM – 06:26 PM |
अभिजीत मुहूर्त | 11:58 AM – 12:54 PM |
शक संवत | 1947 |
विक्रम संवत | 2082 |
दिशाशूल | पश्चिम |
आज का व्रत/उत्सव | श्रावण प्रारंभ, इष्टि व्रत |
📚 इतिहास और उत्पत्ति: पंचांग का सांस्कृतिक महत्व
पंचांग शब्द बना है पांच अंगों से –
तिथि (Lunar day)
वार (Day of week)
नक्षत्र (Constellation)
योग (Luni-solar conjunction)
करण (Half of a Tithi)
यह वैदिक ज्योतिष का मूल स्तंभ है, जो ब्रह्मा जी द्वारा समय निर्धारण के लिए दिया गया था। वेदों के अनुसार, मनुष्य के प्रत्येक कर्म का उचित समय निश्चित है, और वह पंचांग से निर्धारित होता है।
🪔 9 खास बातें जो आज के पंचांग को बनाती हैं बेहद महत्वपूर्ण
श्रावण मास का आरंभ: भगवान शिव को समर्पित यह माह आत्मशुद्धि, तपस्या और भक्ति का प्रतीक है।
शुक्रवार – मां लक्ष्मी का दिन: धन, वैभव और समृद्धि के लिए पूजा विशेष फलदायी है।
अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध: अत्यंत शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम समय।
राहुकाल का समय सुबह है: इस समय में किसी नए कार्य की शुरुआत वर्जित मानी गई है।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र समाप्त और उत्तराषाढ़ा का आरंभ: धैर्य, ज्ञान और नेतृत्व क्षमता का संकेत देता है।
दिशाशूल पश्चिम – यात्रा से परहेज करें। जरूरत पड़ने पर नींबू या तिल लेकर जाएं।
विक्रम संवत 2082 और शक संवत 1947 – दोनों संवत्सरों का संयुक्त संकेत: यश और संतुलन का योग।
आज इष्टि व्रत: इच्छाओं की पूर्ति हेतु यह दिन लाभकारी है।
श्रावण प्रारंभ – आध्यात्मिक जीवन का आरंभ। इस दिन की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।
🧘♀️ श्रावण मास की शुरुआत का महत्व
श्रावण मास की पहली प्रतिपदा तिथि भगवान शिव को प्रथम जलाभिषेक अर्पण करने का श्रेष्ठ अवसर मानी जाती है। जो लोग आज से व्रत, संयम या साधना आरंभ करते हैं, उन्हें विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
🔱 श्रावण के प्रथम दिन की विशेष पूजा विधि
प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करें।
भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें।
बिल्वपत्र, दूध, जल और सफेद पुष्प अर्पित करें।
“ॐ नमः शिवाय” का जाप करें (कम से कम 108 बार)।
व्रत या एक समय फलाहार से संयमित भोजन करें।
📖 FAQs – आज के पंचांग से जुड़े सामान्य प्रश्न
❓ क्या आज श्रावण मास का आरंभ है?
✔️ हाँ, आज से श्रावण मास का प्रथम दिन (कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा) प्रारंभ हो रहा है।
❓ क्या आज कोई व्रत है?
✔️ जी हाँ, आज श्रावण प्रारंभ व्रत और इष्टि व्रत दोनों हैं।
❓ कौन-सा समय शुभ कार्यों के लिए अच्छा है?
✅ अभिजीत मुहूर्त (11:58 AM – 12:54 PM) को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
❓ आज की दिशा यात्रा के लिए अनुपयुक्त क्यों मानी गई है?
📍 पश्चिम दिशा में दिशाशूल है, जिससे यात्रा बाधित या कष्टप्रद हो सकती है।
❓ क्या आज कोई विवाह या मुंडन कर सकते हैं?
❌ चूंकि श्रावण मास में मांगलिक कार्यों को वर्जित माना जाता है, इसलिए टालना उचित होगा।
💬 शुभकामनाएं
🌸 “श्रावण मास के पावन आरंभ पर आप और आपके परिवार को शुभकामनाएं। भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें। हर हर महादेव!” 🌸
📜 निष्कर्ष: पंचांग – जीवन को दिशा देने वाला विज्ञान
आज का दिन केवल एक तारीख नहीं है – यह एक दिशा, अवसर और आशीर्वाद का संगम है। पंचांग का अध्ययन और पालन हमारे कर्म, स्वास्थ्य, मन और सामाजिक निर्णयों को संतुलित करता है।
श्रावण के पहले दिन से प्रारंभ हुआ यह आध्यात्मिक सफर, एक आत्मिक जागरण की ओर पहला कदम है।
आज का पंचांग हमें यही सिखाता है:
“जो समय को समझता है, वही जीवन को संवारता है।”
🔔 हर हर महादेव।
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