🌙 भगवान श्री हरि विष्णु जी की आराधना का पावन पर्व – देवशयनी एकादशी 2025
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🔱 Devshayani Ekadashi 2025 – Introduction:
देवशयनी एकादशी, जिसे ‘हरि शयनी एकादशी’, ‘पद्मा एकादशी’ या ‘आषाढ़ी एकादशी’ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक विशेष और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है और इसे भगवान विष्णु के शयनकाल की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
इस दिन से चातुर्मास (चार महीने की तपस्या, उपासना और संयम का काल) आरंभ होता है, और यह व्रत विशेष पुण्यदायक, मोक्षदायक एवं पारिवारिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाला माना जाता है।
📜 Devshayani Ekadashi – History and Mythology (इतिहास और पौराणिक महत्व):
पौराणिक कथा के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैया पर योगनिद्रा में चले जाते हैं। यही समय देवों के निद्रावस्था में जाने का प्रतीक है। इस काल में चार माह तक (चातुर्मास) भगवान हरि विश्राम करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) को जाग्रत होते हैं।
एक प्रसिद्ध कथा में राजा मान्धाता ने इस व्रत को रखने से अपनी प्रजा के दुखों से मुक्ति पाई थी। इस व्रत के प्रभाव से उन्होंने अकाल और संकट से उबारा, जिससे यह एक लोककल्याणकारी व्रत भी कहा जाता है।
📆 Timeline: Key Events and Observance Period (घटनाक्रम और पालन काल)
वर्ष | तिथि (2025) | दिन | प्रमुख विशेषताएं |
---|---|---|---|
2025 | 6 जुलाई, रविवार | देवशयनी एकादशी | चातुर्मास की शुरुआत, व्रत और उपासना |
2025 | 11 नवंबर, मंगलवार | देवउठनी एकादशी | भगवान विष्णु की योगनिद्रा समाप्ति |

📌 Important Facts about Devshayani Ekadashi:
यह 24 एकादशियों में से सबसे पवित्र एकादशियों में एक मानी जाती है।
यह व्रत विशेषतः पंचांग, नियम और ब्रह्मचर्य के साथ किया जाता है।
भगवान श्री हरि को तुलसीदल, शंख, पीले फूल और पीले वस्त्र अत्यंत प्रिय हैं।
देवशयनी एकादशी से विवाह, यज्ञ, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य निषिद्ध हो जाते हैं।
यह “व्रतों का राजा” माना गया है और मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ कहा गया है।
❓ FAQs – Frequently Asked Questions:
Q1: देवशयनी एकादशी का क्या महत्व है?
उत्तर: यह दिन भगवान विष्णु की योगनिद्रा की शुरुआत को दर्शाता है। इस दिन उपवास और पूजन करने से पापों का क्षय और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Q2: क्या सभी को यह व्रत रखना चाहिए?
उत्तर: हां, चाहे स्त्री हो या पुरुष, ब्राह्मण हो या गृहस्थ – कोई भी श्रद्धा और नियम के साथ इस व्रत को रख सकता है।
Q3: चातुर्मास क्या होता है?
उत्तर: चातुर्मास का अर्थ है “चार महीने का तपस्या काल”। इस दौरान संयम, ब्रह्मचर्य, व्रत, जप और ध्यान को प्राथमिकता दी जाती है।
Q4: क्या इस दिन मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
Q5: देवशयनी एकादशी कैसे मनाई जाती है?
उत्तर: उपवास, तुलसी पूजा, विष्णु सहस्रनाम का पाठ, दीपदान और ब्राह्मणों को भोजन कराने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
🌟 Spiritual and Societal Significance (आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व):
आध्यात्मिक रूप से, यह आत्मचिंतन, संयम और शुद्धि का समय होता है। चार महीनों तक व्यक्ति सांसारिक भोगों से विरक्त होकर ईश्वर की उपासना करता है।
सामाजिक रूप से, यह व्रत समाज में सदाचार, संयम और आहार-विहार के नियमों को मजबूत करता है।
यह चातुर्मास में उत्सवों, साधु-संतों के प्रवचनों और सत्संग की भी शुरुआत करता है जिससे समाज में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
🎉 Wishing Message – शुभकामना संदेश:
🌼 “भगवान श्री हरि विष्णु जी की कृपा से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण हो। देवशयनी एकादशी के इस पावन अवसर पर Minorstudy Foundation की ओर से आपको और आपके परिवार को शुभकामनाएं।”
🪔 “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। जय श्री हरि। देवशयनी एकादशी की शुभ वेला में जीवन का रथ धर्म, सत्य और संयम की दिशा में अग्रसर हो।”

💫 Why Devshayani Ekadashi is Important in Our Life:
आत्मिक विकास के लिए श्रेष्ठ दिन
मन और शरीर के शुद्धिकरण का काल
परिवार में सुख-शांति बनाए रखने हेतु प्रभावशाली व्रत
चातुर्मास की साधना की नींव रखता है
भावनात्मक स्थिरता और ब्रह्मचर्य के पालन की प्रेरणा
मोक्ष की प्राप्ति के द्वार खोलता है
जीवन में विनम्रता, तितिक्षा और भक्तिभाव को बढ़ाता है
🧘♂️ Daily Life Impacts (जीवन में प्रभाव):
नियमित उपवास करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
आध्यात्मिक साधना से मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
संयमित जीवनशैली अपनाने से पारिवारिक जीवन सुखमय होता है।
आत्ममंथन और ध्यान से निर्णय क्षमता में सुधार होता है।
भक्ति भाव और धार्मिकता से सामाजिक वातावरण में सद्भाव बढ़ता है।
🧾 Important Points in Short:
✅ व्रत तिथि: आषाढ़ शुक्ल एकादशी (6 जुलाई 2025)
✅ पूजन देव: भगवान विष्णु (शेष शैया पर योगनिद्रास्थ)
✅ पर्व की शुरुआत: चातुर्मास
✅ निषेध कार्य: विवाह, गृह प्रवेश आदि
✅ पूजन विधि: तुलसी दल, श्रीफल, पीले वस्त्र, दीप दान, व्रत कथा
🏁 Conclusion – निष्कर्ष:
देवशयनी एकादशी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन के आध्यात्मिक उत्थान का एक स्वर्णिम अवसर है। यह दिन संयम, साधना और आत्मविश्लेषण का प्रतीक है। जब हम इस दिन का व्रत और पूजन श्रद्धा से करते हैं, तो न केवल हमारा वर्तमान सुधरता है, बल्कि आने वाला जीवन भी ईश्वर कृपा से भरपूर होता है।
🙏 “देवशयनी एकादशी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। आइए इस पावन दिन पर अपने जीवन में संयम, भक्ति और सेवा को अपनाएं और अपने मन, वचन और कर्म को भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करें।”
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